अमेरिका में हर 4 साल में एक बार राष्ट्रपति पद का चुनाव नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले पहले मंगलवार को होता है। अमेरिका में दो-पार्टी सिस्टम है और राष्ट्रपति इन्हीं दो पार्टियों में से एक का होता है। रिपब्लिकन कन्जर्वेटिव पार्टी है और साल 2020 भी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) हैं। इसे ग्रैंड ओल्ड पार्टी के नाम से भी जाना जाता हैं। इसके पहले जॉर्ज बुश, रॉनल्ड रीगन और रिचर्ड निक्सन रिपब्लिकन राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं। दूसरी ओर डेमोक्रैट लिबरल पार्टी है जिसके वर्तमान उम्मीदवार जो बाइ़डेन (Joe Biden) हैं। यह पार्टी डेमोक्रैट सिविल राइट्स, इमिग्रेशन और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर अधिक ध्यान देती हैं।
आखिर कैसा है अमेरिकी लोकतंत्र और कैसे होते हैं वहां चुनाव। आइए, जानते हैं दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के बारे में सब कुछ…………
सबसे पुराना लोकतंत्र : भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है, लेकिन अमेरिका विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र है। करीब 200 साल पूर्व सन 1804 में अमेरिका में चुनाव की शुरुआत की गई थी। यहां उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा की करवाया जाता है, लेकिन उस दौर में अलग-अलग मत का प्रयोग नहीं किया जाता था। सन 1804 में जिसे अधिक वोट मिलते थे वहीं राष्ट्रपति मनोनीत होता था। कम मत प्राप्त कर दूसरे नंबर पर रहने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति चुना जाता था। शुरुआती दौर से ही यहां हर चार साल में चुनाव होते हैं।
द्विदलीय व्यवस्था : अमेरिकी लोकतंत्र में द्विदलीय राजनीतिक होती है ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें त्रिशंकु संसद का भय नहीं होता। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट अमेरिका की दो प्रमुख पार्टियां हैं। अन्य दलों का यहां नहीं टिक पाते। राष्ट्रपति बनने की के इच्छुक उम्मीदवारों को सबसे पहले एक समिति बनाना होता है, जो पार्टी के लिए चंदा एकत्र कर संबंधित नेता के प्रति जनता का रुख देखती है। यह प्रक्रिया चुनाव से दो साल पूर्व से ही शुरू कर दी जाती है। अमेरिकी संविधान के अनुसार अमेरिका में स्वाभाविक रूप से जन्म लेने वाला कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 35 साल हो गई है और कोई व्यक्ति 14 साल से अमेरिका का नागरिक है तो वह चुनाव लड़ सकता है। राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल करने के लिए इलेक्ट्रोरल कॉलेज वोट का 50 फीसदी से ज्यादा वोट पाना होता है। अमेरिका में इलेक्ट्रोरल कॉलेज के 538 वोट हैं। इसका मतलब जीत के लिए किसी भी एक प्रत्याशी को 270 या इससे अधिक वोट पाना जरूरी होगा। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होता है तो विजयी प्रत्याशी 20 जनवरी को वाइट हाउस में प्रवेश करते हैं। यह सिलसिला 200 सालों से चला आ रहा है। आजतक टूटा नहीं है। अमेरिका में 19 लाख वोटर भारतीय अमेरिकी मूल के हैं। इनकी संख्या अमेरिका के कुल वोटर्स की 0.82 फीसदी है। अमेरिका में भारतीय समुदाय प्रभावशाली तबके में गिना जाता है।
चुनाव प्रक्रिया : अमेरिका में राष्ट्रपति पद की चुनाव प्रक्रिया भारत के मुकाबले काफी संघन और लंबी होती है। अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का उल्लेख पढ़ने काे मिलता है। संविधान में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के जरिए राष्ट्रपति के चुने जाने की व्यवस्था है। हालांकि अमेरिकी संविधान निर्माताओं का एक वर्ग इस पक्ष में था कि संसद को राष्ट्रपति चुनने का अधिकार मिले, जबकि दूसरा धड़ा सीधी वोटिंग के जरिए चुनाव के हक में था। ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ को इन दोनों पार्टियों के बीच एक कड़ी माना जाता है।
पहले होता है पार्टी में चुनाव : राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में सबसे पहले संबंधित राजनीतिक दल अपने स्तर पर दल का प्रतिनिधि यानी उम्मीद्वार चुनते हैं। दूसरे चरण में राजनीतिक दल का हिस्सा बने प्रतिनिधि और अपनी पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करवाया जाता हैं। कारण अमेरिका के कुछ राज्यों में जनता ‘प्राइमरी’ दौर में मतदान का इस्तेमाल न करके ‘कॉकस’ के जरिए पार्टी प्रतिनिधि का चुनाव करती है।
क्या है कॉकस और प्राइमरी? : कॉकस में पार्टी के सदस्य जमा होते हैं। स्कूलों, घरों या फिर सार्वजनिक स्थलों पर उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की जाती है। वहां मौजूद लोग हाथ उठाकर उम्मीदवार का चयन करते हैं।
कहां से शुरू होती है चुनाव प्रक्रिया : राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया आयोवा और न्यू हैंपशायर से शुरू होती है। दोनों ही छोटे राज्य हैं मगर यहां की आबादी में 94 प्रतिशत लोग गोरे हैं, जबकि पूरे अमेरिका में गोरी आबादी 77 फीसदी है।
इस तरह बनता है मंत्रिमंडल : अमेरिका मंत्रिमंडल बनाने की प्रक्रिया भारत से बिलकुल ही भिन्न है। यहां मंत्री बनने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं कि वह संसद का सदस्य हो, ना ही उसके लिए राजनीतिक दल का सदस्य होना जरूरी है। यदि राष्ट्रपति को लगता है तो वह विरोधी पार्टी के सदस्य अथवा किसी विषय विशेषज्ञ को भो मंत्री बना सकता है।
1. ट्रम्प 44वें राष्ट्रपति : ट्रम्प अमेरिका के 45वें नहीं बल्कि, 44वें राष्ट्रपति हैं। दरअसल, ग्रोवर क्लीवलैंड 1884 में चुनाव जीते और राष्ट्रपति बने।
2. 4 बार प्रेसिडेंट रहे रूजवेल्ट : 1945 में 22वें संविधान संशोधन के पहले तक अमेरिका में यह तय नहीं था कि एक व्यक्ति कितनी बार राष्ट्रपति बन सकता है।
3. सबसे कम और सबसे ज्यादा उम्र के राष्ट्रपति : जॉन एफ कैनेडी 43 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने। संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति बनने के लिए आयु 35 साल होना चाहिए।
4. दो बार मुकद्दर के सिकंदर बने फोर्ड : गेराल्ड फोर्ड बिना चुनाव जीते उपराष्ट्रपति भी बने और राष्ट्रपति भी। 1973 में जब शिप्रो एग्न्यू ने इस्तीफा दिया तो फोर्ड वाइस प्रेसिडेंट बने।
5. सबसे लंबे और सबसे ठिगने : अब्राहम लिंकन कद के लिहाज से सबसे लंबे (6 फीट 4 इंच) और जेम्स मेडिसन सबसे ठिगने (5 फीट 4 इंच) अमेरिकी राष्ट्रपति थे।
6. सिर्फ एक कुंवारा : जेम्स बुकानन (4 मार्च 1857 से 4 मार्च 1861) एकमात्र अमेरिकी राष्ट्रपति थे।
7. आठ (8) राष्ट्रपति जिनकी कार्यकाल के दौरान मौत हुई
विलिमय हैनरी हैरिसन
जाचेरी टेलर
अब्राहम लिंकन
जेम्स गारफील्ड
विलियम मैक्कैनले
वॉरेन हार्डिंग
फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट
जॉन एफ कैनेडी
8. पहली महिला जिसने राष्ट्रपति चुनाव लड़ा
1872 में विक्टोरिया वुडहिल ने। हिलेरी क्लिंटन दोनों मुख्य पार्टियों में से पहली महिला थीं।
9. बराक ओबामा
पहले अफ्रीकन-अमेरिकन प्रेसिडेंट थे। वे दो बार राष्ट्रपति रहे।
Originally published at https://newsmug.in on November 6, 2020.