आज से पितृपक्ष शुरू : श्राद्ध आसान विधि से घर पर कर सकते हैं, जानिए 16 दिन में कब क्या रहेगा ?
नागदा। पितृपक्ष 2020, 2 से 17 सितंबर तक पितृपक्ष रहेगा। सनातन धर्म में तीर्थ स्थान पर श्राद्ध करने की महत्व बताया गया है, लेकिन कोरोना महामारी के दौर में आप घर रहकर ही विशेष सामग्री के सथ श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
चलिए पहले जान लें, श्राद्ध का अर्थ क्या हैं?
श्राद्ध का मतलब किसी के भी प्रति श्रद्धा का भाव। इसलिए मृत हुतआत्माओं का श्राद्ध किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता पार्वती और शिव को श्रद्धा विश्वास रुपिणौ है। पितृ पक्ष इसलिए मनाया जाता है ताकि हम अपने पितरों के प्रति श्रद्धा को उजागर कर सकें।
इंसानी शरीर में तीन स्तर होते हैं। जो शरीर दिखाई देता है वह दृश्यमान है। शरीर के भीतर सूक्ष्म शरीर है, जिसमें पांच कर्मेंद्रियां, पांच ज्ञानेंद्रियां, पंच प्राण (प्राण, अपान, व्यान, उदान समान), पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश, वायु) अपंचीकृत रूप, अंत:करण चतुष्टय (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार), अविद्या, काम और कर्म होते हैं।
कोरोना का पहरा, घर पर ही करें श्राद्ध ओर तर्पण
- श्राद्ध तिथि के दिन सूर्योदय होने से पहले स्नान करें। श्राद्ध क्रिया करने के पूर्व मुंह जूठा ना करें। चाय तक ना पीएं, बीमार व्यक्ति चाय ले सकता है।
- श्राद्ध करने का सही समय दोपहर 12 बजे माना गया है।
- दक्षिण दिशा की ओर मुंह और बाएं पैर को मोड़कर कर्म क्रिया करना चाहिए।
- तांबे के पात्र यानी बर्तन में जौ, तिल, चावल गाय का कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल और पानी डालें।
- जिसके बाद हाथों में कुशा यानी हरी घास रखें। जिसके बाद दोनों हाथों में जल भरकर सीधेहाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं।
- इस प्रकार जल देने की क्रिया को 11 बार करना चाहिए। जल देते समय पितरों का मनन करें, यानी उन्हें याद करें।
- पितरों को अर्पण किया जाने वाला भोजन शुद्ध महिलाओं से बनाएं, अर्थात मासिक धर्म के दौर से गुजर रही महिलाओं से प्रसाद सामग्री ना बनवाएं।
- पितरों को दिए जाने वाले भोजन में चूले या आग पर खीर बनवाएं। बने हुए भोजन को पंचबलि यानी की देवता, श्वान यानी कुत्ता, चींटी, कौएं के लिए अलग से भोजन निकाल दें।
- बनें हुए प्रसाद या भोजन खाने के लिए ब्राह्मण को आमंत्रित करें। श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा और अन्य सामग्री दान करें।

श्राद्ध यानी पितृ यज्ञ के 16 दिन
अर्थ वेद में उल्लेख है कि सूर्य के कन्या राशि में पहुंचने पर पितरों का तर्पण करने से पितृों को स्वर्ग में स्थान मिलता है। याज्ञवल्क्य स्मृति और यम स्मृति में भी उल्लेख है कि श्राद्ध के 16 दिनों में पूजन करने से पितृों को मोक्ष प्राप्त होता है। ग्रंथों में लिखा गया है कि श्राद्ध के दौरान पितृ वंशजों को देखने आते हैं। इस दौरान कई बार स्वप्न भी देखने को मिलते हैं।
किसको श्राद्ध करने का अधिकार
चलिए अब जान लेते हैं श्राद्ध करने का अधिकार किसे है। यदि किसी का पुत्र ना हो तो भाई-भतीजे, माता के कुल के मामा, मुंह बोला भाई या शिष्य श्राद्ध पूजन कर सकता हैं। पिता के लिए पिण्ड दान और जल-तर्पण पुत्र को करना चाहिए पुत्र न हो तो पत्नी और पत्नी न हो तो सगा भाई भी श्राद्ध कर्म कर सकता है। दामाद और ससुर भी एक दूसरे के लिए कर सकते हैं। बहु सास को पिण्ड दान कर सकती है।
Originally published at https://newsmug.in on September 2, 2020.