‘टैक्स’ के इतिहास से लेकर अर्थशास्त्र तक, सब कुछ कक्षा आठ वाली मेडम की भाषा में

News Mug
4 min readJan 31, 2021

1 फरवरी 2021 को बजट पेश होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश कर भाषण देंगी. भाषण सुनने से पहले हम आपको बताएंगे कि आखिर बजट क्या है ? और यह कितने प्रकार का होता है. बजट की इतनी चिंता आम आदमी क्यों करता है, इस सवाल के उत्तर में आर्थिक विशेषज्ञ और जानकार बड़े-बड़े आंकड़े और मुश्किल टर्म्स उछाल देते हैं. बजट 2021. इसमें सब नहीं तो बहुत कुछ बताएंगे. आपकी-हमारी, यानी देशी भाषा में. इस लेख में हम बात करेंगे भारत में टैक्स को लेकर. टैक्स की शुरुआत से लेकर अब तक इसमें क्या सुधार हुआ?

# Tax की भारत के बजट में ऐसे हुई थी आमद-

भारत में साल 1860 में बजट की शुरुआत हुई थी. इसकी शुरूआत जेम्स विल्सन ने की थी. 1859 में क्वीन विक्टोरिया ने विल्सन को भारत भेजा था. विल्सन को भारत भेजे जाने के पीछे का कारण था कि, बजट के अलावा टैक्स संबंधित नियम क़ानून बनाए जाए और भारत में कागज़ की मुद्रा की शुरुआत हो सके. 150 सालों के बाद भी सफलतापूर्वक चल रहे ‘स्टेंडर्ड चार्टर’ बैंक और ‘दी इकनॉमिस्ट’ न्यूज़पेपर के संस्थापक जेम्स विल्सन ही वो इंसान थे, जो भारत में इनकम टैक्स क़ानून लेकर आए थे.

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# पर अब ये टैक्स होता क्या है-

किसी भी सरकार को खर्चा चलाने के लिए चाहिए पैसा. और ये पैसा आता है कई सोर्स से. किसी व्यक्ति या संस्था से अगर सरकार धन लेती है तो उसे कहते हैं टैक्स. टैक्स दो प्रकार के होते हैं. डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स.

डायरेक्ट से अभिप्राय है कि ऐसा टैक्स जो सीधे सरकार को दिया जाता है, वो कहलाता है डायरेक्ट टैक्स. जिसमें इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स. हमारी सालाना इनकम पर लगाए गए टैक्स को इनकम टैक्स कहते है, जो सीधे भारत सरकार के खाते में जाता है. वही दूसरी ओर कंपनियां जो पैसे कमाती हैं, उसका एक हिस्सा सरकार को देती हैं. उसे कॉरपोरेट टैक्स कहते हैं.

ऐसा टैक्स जिसमें देने वाले और टैक्स लेने वाले के बीच में बहुत सारे लोग मौजूद हो वह इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है. जैसे — यदि आप कोई सामान ख़रीदते हैं तो उस सामान के मूल्य के साथ उठा टैक्स भी चुकाते हैं. बहुत सारे लोगों से होता हुआ यह टैक्स सरकार के पास जाता है.

इसका पूरा नाम है गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स होता है. यानी के सामान और सर्विस पर लगने वाला टैक्स. गुड्स मतलब सामान जैसे कार, टीवी, ब्रेड यूं समझे दैनिक उपयोग की वस्तुएं और सर्विसेस. GST भी एक प्रकार का इनडायरेक्ट टैक्स है.

कस्टम ड्यूटी सीधे तौर पर विदेश से खरीदकर भारत लाए गए सामान पर लगती है. आप विदेश जाते हैं और वहां से सोना, परफ्यूम, गाड़ी खरीदते हैं. जब आप उसे अपने देश वापस लेकर आते हैं, तो सरकार उसपर टैक्स लगाती है और तभी आप उस सामान को एयरपोर्ट से बाहर ला सकते हैं.

आज़ादी से पहले क्या हिसाब-किताब था?

चलिए अब थोड़ा इतिहास के पन्नों को पलटते हैं. साल 1935 में भारत सरकार अधिनियम 1935 ने वस्तुओं की बिक्री पर टैक्स को राज्यों का विषय बना दिया. वहीं साल 1939 में भारत में मद्रास राज्य में बिक्री कर (Sales Tax ) लागू किया. जिसके बाद साल 1941 में पंजाब राज्य में बिक्री कर लागू किया. ऐसा करते हुए भारत के अन्य राज्यों में भी इसे लागू किया गया. ब्रिटश हुकूमत से आजादी के 10 साल बाद टी.टी. कृष्णमाचारी पांचवें वित्त मंत्री बने. कृष्णमाचारी ने 1957–58 का बजट पेश किया.

इमरजेंसी का दौर

जिसके बाद आया इमरजेंसी का दौर. हरित क्रांति के जनक, चिदंबरम सुब्रमण्यम को वित्त मंत्री बनाया गया था. इमरजेंसी के दौर में सुब्रमण्यम ने टैक्स दरों को कम किया. उन्होंने कर कानूनों के अपने 1976 के संशोधनों में ‘सोर्स-बेस्ड टैक्स’ की अवधारणा पेश की. इमरजेंसी के बाद 24 मार्च, 1977 को मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. तब हीरूभाई एम पटेल को वित्त मंत्री बनाया गया. उन्होंने 1978–79 का बजट प्रस्तुत किया.

‘वी पी सिंह और चिदंबरम का टैक्स रिफ़ॉर्म’

साल 1991 में भारत ने उदारीकरण की नीति अपनाई गई. इसका पूरा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिया जाता है. सिंह उन दिनों वित्त मंत्री थे. वीपी सिंह ने लाइसेंस राज खत्म कर दिया, जिसे ब्रिटिश-राज के बाद भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा कहा जाता है. उन्होंने सोने की तस्करी में कमी लाने के लिए सोने के ऊपर लगने वाला टैक्स भी कम कर दिया.

‘ड्रीम बजट’ से क्या बदला?

साल 1996 में सत्ता में आई नेशनल फ़्रंट. वित्त मंत्री बने पी. चिदंबरम. 1996–97 का अंतरिम बजट मनमोहन सिंह 28 फ़रवरी, 1996 को पेश कर चुके थे. चिदंबरम ने पूर्णकालिक बजट पेश किया. 27 जुलाई 1996 को. फिर आया 1997–98 का ‘ड्रीम बजट’. पेश किया पी. चिदंबरम ने. बजट में आर्थिक सुधारों के लिए एक रोडमैप तो था ही. साथ ही इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स की दरों को कम किया गया था. इनकम टैक्स 40 से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया था. साथ ही इनकम टैक्स में ‘स्लैब सिस्टम’ इंट्रड्यूस किया गया. 10, 20, 30 प्रतिशत का.

GST गुड्स एंड सर्विस टैक्स

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) को देश का सबसे बड़ा टैक्स सुधार कहा जाता है. GST से जुड़े संविधान के 122वें संशोधन विधेयक साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने अगस्त 2016 में संसद से पास कराया. हुआ यूं था कि संसद भवन में 30 जून और 1 जुलाई 2017 की दरमियानी रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और सभी पार्टियों के नेता इकट्ठा हुए. रात के 12 बजे एक ऐप के ज़रिए GST लागू किया गया.

Originally published at https://newsmug.in on January 31, 2021.

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