मकर संक्रांति का महत्व, शुभ मुहूर्त और कथा | Makar Sankranti Significance History and Story in Hindi
त्योहारों के देश भारतवर्ष में हरदिन कोई ना कोई पर्व या व्रत अवश्य मनाया जाता है. आस्था का प्रतीक यह त्यौहार सिर्फ एक परंपरा नहीं है परंतु उन्हें मनाए जाने का प्रामाणिक वैज्ञानिक कारण भी उपलब्ध है. भारत में हर साल जनवरी में मकर सक्रांति (Makar Sankranti) पर्व मनाया जाता है. मकर सक्रांति काे भारत भिन्न-भिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं. जैसे खिचड़ी (बिहार और उत्तर प्रदेश में), लोहड़ी, पिहू और पोंगल.
मकर संक्रांति के दिन के शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Muhurat 2021 Timings )
मकर संक्रांति का महत्व (Makar Sankranti Mahatva)
पौष माह के दौरान जब सूर्य देवता धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता हैं. उन दिनों सनातन धर्म में यह पर्व सक्रांति के तौर मनाया जाता है. संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायणी गति प्रारंभ करता है. इसलिए इस पर वह को उत्तरायणी पर्व के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं और इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इस दिन जप, तप, ध्यान और धार्मिक क्रियाकलापों का अधिक महत्व होता हैं. अन्य प्रांतों में इसे फसल उत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं.
वैज्ञानिकों की मानें तो पहले सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध पर सीधी किरणें डालता है. जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में रात्रि बड़ी और दिन छोटा होता है. इसके कारण सर्द का मौसम भी रहता है. सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ना शुरू होता है. जिसके कारण ऋतु भी परिवर्तित होता है और यह कृषकों की फसलों के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है.
मकर संक्रांति की पौराणिक कहानियाँ (Makar Sankranti Story in Hindi)
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूँकि शनि मकर राशी के देवता हैं इसी कारन इसे मकर संक्रांति कहा जाता हैं.
प्राचीन कथाओं की मानें तो महाभारत युद्ध के योद्धा और कौरवों की सेना के सेनापति गंगापुत्र भीष्म पितामह को इच्छा मुत्यु का वरदान प्राप्त था. अर्जुन के बाण लगाने के बाद उन्होंने इस दिन की महत्ता को जानते हुए अपनी मृत्यु के लिए इस दिन का चयन किया था.
भीष्म जानते थे कि सूर्य दक्षिणायन होने पर व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त नहीं होता और उसे इस मृत्युलोक में पुनः जन्म लेना पड़ता हैं. महाभारत युद्ध के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुआ तभी भीष्म पितामह ने प्राण त्याग दिए. भीष्म के निर्वाण दिवस को भीष्माष्टमी भी कहते हैं.
एक धार्मिक मान्यता के अनुसार सक्रांति के दिन ही माँ गंगा स्वर्ग के अवतरित होकर रजा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई गंगासागर तक पहुँची थी. धरती पर अवतरित होने के बाद राजा भागीरथ ने गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों का तर्पण किया था. इस दिन पर गंगा सागर पर नदी के किनारे भव्य मेले का आयोजन किया जाता हैं.
माता यशोदा ने संतान प्राप्ति (श्रीकृष्ण) के लिए ही इसी दिन व्रत रखा था. इस दिन महिलाएं तिल, गुड आदि दूसरी महिलाओं को बाँटती हैं. ऐसा माना जाता हैं कि तिल की उत्पत्ति भगवान् विष्णु से हुई थी. इसलिये इसका प्रयोग पापों से मुक्त करता हैं. तिल के उपयोग से शरीर निरोगी रहता है और शरीर में गर्मी का संचार रहता हैं.
भारत में मकर संक्रांति त्यौहार और संस्कृति (Makar Sankranti in different parts of India)
भारतवर्ष में उपज का मौसम और मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) का पर्व बेहद ही उलास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. जैसा कि हम भली भाति जानते हैं कि भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा किसानों का है. इसलिए, देश के अन्य हिस्सों संक्रांति अलग-अलग तरीके से मनाई जाती हैं.
तमिलनाडु में मनाया जाने वाला थाई पोंगल, भगवान इंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए चार दिनों के उत्सव के रुप में मनाया जाता है..यह दिन भगवान इंद्र को भरपूर बारिश के लिए आभार मानने का एक माध्यम है. इसलिए उपजाऊ भूमि और अच्छी उपज की कामना स्वरुप यह मनाई जाती हैं.
थाई पोंगल के दूसरे दिन, ताजा पका हुआ चावल दूध में उबाला जाता है और इसे भगवान सूर्य को प्रसाद स्वरुप अर्पित किया जाता है. तीसरे दिन, मट्टू पोंगल ‘बसवा’- भगवान शिव के बैल को घंटियों, फूलों की माला, माला और पेंट के साथ सजाकर पूजन किया जाता है. पोंगल के चौथे दिन, कन्नुम पोंगल मनाया जाता है जिसमें घर की सभी महिलाएँ एक साथ विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करती हैं.
मकर संक्रांति को “बैसाखी” पर्व भी कहा जाता है, पंजाब में यह बहुत उल्लास के साथ मनाया जाने वाला एक फसल त्यौहार है. यह वसंत ऋतु के अनुरूप पंजाबी नववर्ष को भी चिह्नित करता है.इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं.
गुजरात राज्य में मकर संक्रांति को उत्तरायण नाम से जाना जाता हैं. इस दिन पतंग उड़ाने, गुड़ और मूंगफली की चिक्की का दावत के रूप में लुफ्त उठाया जाता है. विशेष मसालों के साथ भुनी हुई सब्जी उत्तरायण के अवसर का मुख्य व्यंजन है.
भोगली या माघ बिहू असम का एक सप्ताह लंबा फसल त्यौहार है. यह पर्व माह के 29 वें दिन से शुरू होता है, जो 13 जनवरी को पड़ता है और लगभग एक सप्ताह तक चलता है. इस त्यौहार पर लोग हरे बांस और घास के साथ बनी विशेष संरचना “मेजी” (एक प्रकार की अलाव(Bon Fire)) का निर्माण करते हैं और जलाते हैं.
Originally published at https://newsmug.in on January 10, 2021.