हथुआ राज का इतिहास, अपशगुनी गिद्ध के कारण राजपरिवार को छाेड़ना पड़ा था महल

News Mug
3 min readDec 26, 2020

हथुआ राज\ गोपालगंज. गिद्ध को दुनिया बदसूरत चिड़िया के रुप में जानती है, लेकिन आपकों जानकार हैरानी होगी कि प्राचीन समय में गिद्ध के कारण एक राजपरिवार को सदियों पुराने महल को खाली करना पड़ गया था। हम बात कर रहे हैं बिहार के गोपालगंज में स्थित हथुआ राज के इतिहास के बारे में।

जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर स्थित हथुआ राज के राजपरिवार ने अपने महल को केवल इसलिए छाेड़ दिया था क्योंकि उसकी छत पर अपशगुनी गिद्ध बैठ गया था। वर्तमान में महल में राजवंश की रानी पूनम शाही बीएड कॉलेज में परिवर्तित कर दिया गया है। जहां पर नौजवान भारत की भावी पीढ़ी को गड़ने की शिक्षा लेते है।

हथुआ राज में दो महल, अनुविभागीय कार्यालय, सैनिक स्कूल मौजूद है। नए महल को म्युजियम में तब्दील कर दिया गया है। राजवंश के मौजूद वंशज दुर्गा पूजा के अंतिम दिन थावे मंदिर पर आयोजित विशेष पूजा में शामिल होते हैं। जहां पर पशुओं की बलि दिए जाने की परंपरा है। मालूम हो कि थावे पर राजा मननसिंह का राज था। मननसिंह की हटधर्मिता और जिद के कारण थावे वाली मां भवानी ने राजा का सामाज्य तहस-नहस कर दिया था।

हथुआ निवासी सुनिल प्रसाद बताते है कि, आजादी के बाद राजतंत्र ख़त्म होने के बावजूद बिहार के हथुआ में कोई फर्क नहीं पड़ा है। साल 1956 में भारत में जमींदारी उन्मूलन कानून लागू किया गया था जिसके अंतर्गत भारत में राजतंत्र समाप्त किया जाना था, देश में प्रजातंत्र कायम हुआ था। हथुआ राज परिवार आज भी प्रसाशनिक आदेशो की अवहेलना करते हुए अपनी मनमानी ही करता है।

आज भी राजा की सभा लगती है

हथुआ राज के कई ऐसी विरासत बिहार के इलाको में आपको देखने को मिल सकता है। गोपालगंज में सबसे ज्यादा उनकी विरासत की चाप मिल जायेगी। हथुआ राज ने अपनी सम्पति बिहार सरकार को नहीं दी और आज भी उनका साम्राज्य कायम है।

क्या कहता है हथुआ राज का इतिहास

स्थानीय निवासी रजंन कुमार बताते है कि, प्राचीन समय में हथुआ राज की संपत्ति को सरकार में मिलाने के लिए एक बहुत बड़ा जत्था गोपालगंज की ओर बढ़ा था, सुचना के बाद महारानी ने अपनी पूरी सेना को बन्दुक साफ़ करने का आदेश दिया और अफसरों को फोन कर कहा कि, ठीक 4 बजे आप एक ट्रक भेज दीजियेगा और लाशो को ले जाइएगा। ऐसा ही हुआ , काफी खून खराबा हुआ , पर महारानी ने अपने सम्पति का विलय नहीं होने दिया।

हथुआ महल में कोई भी आसानी से नहीं जा सकता है। उसके लिए अनुमति की जरुरत पड़ती है। एक बार परमिशन मिल जाए तब आप आराम से महल में घूम सकते है। बिहार की राज घराने की अद्भुत मिसाल है हथुआ राज की विरासत। हथुआ महल में घूमने के लिए कोई टिकट नहीं लगता बल्कि इजाजत की जरुरत होती है।

राजपरिवार के कल्चर के हिसाब से आज भी महाराज अपने बग्गी में मंदिर आते है। पूजा के बाद वह शीश महल में अपना सालाना दरबार लगाते है। हथुआ परिवार के लोग आज भी अपना कस्टम सेलिब्रेट करते है जैसे की पूजा में भैंस और बकरी की बलि देना आदि |

Originally published at https://newsmug.in on December 26, 2020.

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